MADHYAMIK HISTORY | CHAPTER 6| in Hindi | CLASS 10 | West Bengal Board | WBBSE ATR Institute
Class 10 WBBSE Notes
History Chapter 6
6. बीसवीं शताब्दी में भारत के किसान, मजदूर वर्ग एवं वामपंथी आन्दोलन : विशेषताएँ एवं अवलोकन
विभाग-ख
2.1.101. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष (President) कौन थे?
उत्तर : उमेश चन्द्र बनर्जी (W.C. Banerjee)।
|2,1.102. मोपला विद्रोह कहाँ हुआ था?
उत्तर : मालाबार (केरल) में।
12.1.103. भारत छोड़ो आन्दोलन के एक महिला नेत्री का नाम लिखो।
उत्तर : मातंगिनी हाजरा।
2.1.104 'शेर-ए-पंजाब' या 'पंजाब केसरी' के नाम से कौन जाने जाते थे?
उत्तर : लाला लाजपत राय।
12.1.105. दरभंगा किसान आंदोलन किसके नेतृत्व में किया गया था?
उत्तर : विशुभरण उर्फ स्वामी विद्यानंद।
12.1.106. कानपुर षड्यंत्र केस कब चलाया गया था?
उत्तर : सन् 1924 ई० में।
2.1.107. भारत की प्रथम फर्मास्यूटिकल कम्पनी का नाम बताएँ।
उत्तर : बंगाल केमिकल भारत की प्रथम फर्मास्यूटिकल कम्पनी है।
2.1.108. एटक का पूरा नाम लिखो।
उत्तर : अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (A.I.T.U.C)
2.1.109. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सबसे पहली महिला अध्यक्षा कौन थी?
उत्तर : एनी बेसेंट।
2.1.110. बंग-भंग पूर्ण रूप से कब प्रभावी हुआ था?
उत्तर : 16 अक्टूबर, 1905 ई० को।
12.1.111. नमक सत्याग्रह कब शुरू किया गया?
उत्तर : 12 मार्च, 1930 ई० में।
2.1.112 भारत छोड़ो आन्दोलन के समय भारत का गवर्नर जनरल (Governer General) कौन था?
उत्तर : लॉर्ड लिनलिथगो (लॉर्ड लिनलिथगो)|
2.1.113. 'करो या मरो' का नारा किस आन्दोलन के दौरान दिया गया था?
उत्तर : भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement) के दौरान ।
2.1.114. रेडिकल डेमोक्रेटिक पार्टी का गठन किसने किया था?
उत्तर : मानवेन्द्र नाथ राय (M.N. Roy) ने।
12.1.115. मजदूर किसान पार्टी(Workers and Peasants Party) की स्थापना सर्वप्रथम कहाँ हुई थी?
उत्तर : कलकत्ता में।
2.1.116.] बारदौली किसान सत्याग्रह कब चलाया गया था?
उत्तर : अक्टूबर, 1928 ई० में।
विभाग-ग
3.129 चम्पारण आन्दोलन क्या था ?
उत्तर : चंपारण क्षेत्र में यूरोपीय नील व्यापारी नील की खेती करने वाले किसानों के साथ दुर्व्यवहार करते थे इनके अत्याचारों के कारण किसानों को स्थिति दयनीय हो गई थी । गाँधीजी ने किसानों को संगठित कर सत्याग्रह आंदोलन छेड़ दिया और वे हर परिस्थिति का सामना करने को तैयार हो गये । सरकार ने गाँधीजी सहित कई लोगों की एक समिति बनाई। किसानों का शोषण समाप्त हुआ । इस सत्याग्रह ने गाँधीजी को राष्ट्र का सफल जननेता के पद पर प्रतिष्ठित कर दिया।
3.130 खेड़ा आंदोलन की दो विशेषताएँ बताओ ।
उत्तर : गाँधी जी ने 1918 ई० में गुजरात के खेड़ा जिले में किसानों की फसल नष्ट हो जाने के बावजूद सरकार द्वारा लगान में छूट न दिए जाने के कारण सरकार के विरुद्ध किसानों को लेकर सत्याग्रह आन्दोलन चलाया इस आन्दोलन में गाँधीजी का साथ वल्लभ भाई पटेल, इन्दुलाल याग्निक तथा अन्य नेताओं ने दिया।
3.131. किसान सभा की स्थापना किस प्रकार हुआ?
उत्तर : किसानों को मिलाकर जो संघ बनायी गयी, उसे किसान सभा कहते हैं। अर्थात् दूसरे शब्दों में आगरा एवं अवध क्षेत्र के जमींदार, किसानों से मनमाना कर (Tax) वसूलते थे। इसी वजह से अवध क्षेत्र स्थित होमरूल के कार्यकर्ताओं ने किसान वर्ग को मिलाकर एक संघ बनाया, जिसका नाम 'किसान सभा' दिया गया।
|3.132. अयोध्या किसान आंदोलन किस प्रकार संगठित हुआ?
उत्तर : बाबा रामचंद्र,ने अवध या अयोध्या के किसानों को जमींदारों के विरुद्ध संगठित किया। उन्होंने किसानों को एकताबद्ध होकर जमींदारों और सरकार के अन्याय का विरोध करना सिखाया । 1920 ई० में किसान आंदोलन गाँधीजी के असहयोग आंदोलन से जुड़ गया।
3.133. मोपला विद्रोह के लक्ष्य क्या थे ?
उत्तर : मोपला कृषक आन्दोलन 19201922 ई०):- महात्मा गांधी जी के असहयोग आन्दोलन के दौरान ही केरल (मालाबार क्षेत्र) में किसानों ने अंग्रेजों से मदद प्राप्त जमींदारों और ठेकेदारों के खिलाफ मोपला आन्दोलन चलाया, जिसका नेतृत्व किसान जाति के 'अलि मुसलियार ने किया था। मोपला विद्रोह मालाबार क्षेत्र में रहने वाले मोपला जाति के किसानों ने किया था जो साम्राज्यवाद के खिलाफ एक सशस्त्र और विशाल विद्रोह था।
3134.] अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन (AITU) या अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) के दो नेताओं के नाम लिखो।
उत्तर : एन० एम० जोशी और लाला लाजपत राय।
3. 135. वामपंथी आन्दोलन के विकास का समय कब से कब तक माना गया तथा इसके ग्रष्टा कौन थे ?
उत्तर : सन् 1920 से लेकर 1922 ई० तक माना गया और इसके सष्टा मानवेन्द्र नाथ राय थे। मानवेन्द्र राय ने वामपंथी विचारधारा को न केवल मैक्सिको एव रूस में फैलाया बल्कि भारत में भी प्रचार-प्रसार किया।
3136. चौरी चौरा घटना से क्या समझते हैं?
उत्तर :5 फरवरी, 1922 ई० को गोरखपुर जिले (उत्तर प्रदेश) के चौरी चौरा नामक स्थान पर असहयोग आन्दोलन कारियों ने क्रोध में आकर थाने में आग लगा दी, जिससे एक थानेदार एवं 21 सिपाहियों की मृत्यु हो गयी। इस घटना से दुखी होकर गाँधी जी ने 11 फरवरी, 1922 ई० को असहयोग आन्दोलन स्थगित कर दिया।
13.137. बाबा रामचन्द्र कौन थे?
उत्तर : बारा रामचन्द्र अवध किसान सभा के एक प्रमुख नेता थे, जो अवध क्षेत्र के किसानों को संगठित कर अपना विद्रोह शुरू किये थे तथा किसानों पर हुए अत्याचार का विरोध किये थे।
[3.138. बारदौली आंदोलन क्यों हुआ?
उत्तर : सन् 1926 में अंग्रेजी सरकार के लगान पुनर्निरीक्षण अधिकारी ने गुजरात के सूरत जिले के बारदौली तालुक में लगान में 30 फीसदी बढ़ोतरी की सिफारिश की जिसे देना किसानों के लिए सम्भव नहीं था, अत: उन्होंने लगान न देने का आंदोलन (No Taxation Movement) किया।
13.139. मोपला कौन कहलाते थे?
उत्तर : केरल राज्य (दक्षिण मालावार) के मुसलमानों, पट्टेदारों तथा बंधुआ मजदूरों को मोपला कहा जाता था।
13.140. मेरठ षड्यंत्र मुकदमा के बारे में क्या जानते हैं?
उत्तर : सरकार ने सन् 1929 में राष्ट्रवाद और ट्रेड यूनियन के लोगों पर सरकार के विरूद्ध षड्यंत्र का मुकदमा चलाया जिसमें 27 लोगों को दण्डित किया गया था। यह मुकदमा सन् 1933 तक चला जिसमें जवाहर लाल नेहरू, कैलाश नाथ काटजू, अंसारी आदि प्रतिवादियों की ओर से पेश हुए थे।
13.141. भारत छोड़ो आंदोलन को अगस्त आंदोलन क्यों कहा जाता है?
उत्तर : भारत छोड़ो आन्दोलन का प्रस्ताव 8 अगस्त, 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी द्वारा पारित किया गया था। अतः इसे अगस्त आन्दोलन कहा जाता है।
3.142. अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना किसने और कब किया?
उत्तर : सन् 1920 में एन० एम० जोशी, लाला लाजपत राय, जोजेफ बैपटिस्ट, दीवान चमनलाल आदि मजदूर नेताओं ने मिल जुलकर अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना की।
|3.143. तीन कठिया व्यवस्था क्या है ?
उत्तर : 1917-18 ई० में गाँधीजी के नेतृत्व में चंपारण सत्याग्रह हुआ जिसके फलस्वरूप तीन कठिया नामक जबरन नील की खेती करने की प्रथा समाप्त हुई। तीन कठिया के अन्तर्गत किसानों को3/20 (बीस कट्ठा में तीन कट्ठा) भू भाग पर नील की खेती करनी पड़ती थी, जो जमींदारों द्वारा जबरन थोपी गई थी।
3.144. दांडी मार्च क्या है ?
उत्तर : दांडी मार्च :- 12 मार्च 1930 ई० को गाँधीजी ने अपने 79 अनुयायियों के साथ साबरमती आश्रम से समुद्र तट पर स्थित दांडी नामक स्थान पर जाकर प्राकृतिक तरीके से नमक बनाकर नमक कानून भंग करने का निश्चय किया। इस यात्रा को ही दांडी मार्च के नाम से जाना जाता है।
3,145. जेन्मे (Jenme) किसे कहा जाता था? उनके खिलाफ विद्रोह क्यों हुआ ?
उत्तर : दक्षिण भारत के मालाबार क्षेत्र के मुस्लिम जमीदारों को जेन्मे कहा जाता था मोपालाओं ने इनके अत्याचार के खिलाफ 1921 ई० में विद्रोह किया था।
3.146. तेलंगाना कृषक आंदोलन कब और किसके नेतृत्व में आरम्भ किया गया ?
उत्तर : तेलंगाना कृषक आंदोलन जुलाई, 1946 ई० में पी. सुन्दरैया, रवि नारायण रेड्डी के नेतृत्व में आरम्भ किया गया।
3.147. सविनय अवज्ञा आन्दोलन के संदर्भ में किसान आंदोलन की दो विशेषताएँ बताओ !
उत्तर : (i) सन् 1936 ई० में लखनऊ में अखिल भारतीय किसान कांग्रेस का गठन किया गया था। इसके प्रथम अध्यक्ष स्वामी सहजानंद सरस्वती थे, जिनके प्रयास से किसानों को जमींदारों से मुक्ति मिली।
(ii) सन् 1937 ई० में पंजाब कृषक आन्दोलन चलाया गया तथा पंजाब के किसानों को अंग्रेजी सरकार के कर बोझ से मुक्ति दिलाया।
13.148. तेभागा आन्दोलन के उद्देश्य क्या थे?
उत्तर : तेभागा आन्दोलन में किसानों का कहना था कि जमीन जोतने वालों की है। अत: उनकी माँगे थी। कि जोतदारों के जिनके अधिकार में भूमि थी, हिस्से में दी जाने वाली फसल में कटौती की जाए। किसानों ने माँग की कि जोतदारों को केवल एक तिहाई फसल दी जाय और दो तिहाई फसल पर किसान का अधिकार हो ।
3.149. क्या तेभागा आन्दोलन सफल हुआ ?
उत्तर : नहीं, सरकार ने तेभागा आंदोलन को दबाने में सफलता पाई । किन्तु उसने 1949 ई० में वर्गादार नियंत्रण बिल पारित कर एक आर्डिनेन्स के द्वारा किसानों की अधिकांश बातें मान ली।
13.150. तेलंगाना आन्दोलन के दो उद्देश्य बताओ।
उत्तर : तेलंगाना आन्दोलन : तेलंगाना आंदोलन भी तेभागा और वर्ली आंदोलन के समान ही था जो सन् 1945 से लेकर 1951 ई० तक चला। यह आंदोलन आंध्र प्रदेश के हैदराबाद समेत कई क्षेत्रों में किया गया। इस आंदोलन में किसान ठेकेदारों एवं कर संग्रहकों द्वारा बुरी तरह से प्रताड़ित हुए थे जिसका परिणाम अत्यन्त ही भयानक था। इन सभी क्षोभ के कारण ही किसानों ने ठेकेदारों और कर (Tax) संग्रहकों के विरुद्ध यह आंदोलन चलाया।
13.152 मजदूर आंदोलन पर दमन नीतियों की विशेषताएँ क्या थी?
उत्तर : भारतीय श्रमिकों को शोषण का अभिशाप उसी प्रकार झेलना पड़ा जिस प्रकार यूरोप तथा अन्य देशों के श्रमिकों को काफी लंबी अवधि तक झेलना पड़ा था। कम मजदूरी, दैनिक कार्य का लंबा समय, अस्वस्थ परिवेश एवं वातावरण, काम करने में किसी प्रकार की सुविधा का अभाव आदि शोषणमूलक स्थितियों में उन्हें काम करना पड़ता था । साथ ही औपनिवेशिक शासन के दुर्व्यवहार भी झेलने पड़ते थे।
3.152. मानवेन्द्र नाथ राय का नाम स्मरणीय क्यों है ?
उत्तर : मानवेन्द्र नाथ राय (एम० एन० राय) वामपंथी विचारधारा के सूत्र माने जाते हैं जिन्होंने वामपंथी विचारधारा को न केवल मैक्सिको और रूर में फैलाया बल्की भारत में भी प्रचार-प्रसार किया। इन्होंने मैक्सिको में 'Communist Party of Mexico' तथा सन् 1925 में भारत में 'Communist Party of India' की स्थापना की। इतना ही नहीं, इन्होंने सन् 1940 ई० में 'Radical Democratic Party की भी स्थापना किया।
13.153. अखिल भारतीय किसान सभा की स्थापना के दो उद्देश्य बताओ।
उत्तर : अखिल भारत किसान सभा के कुछ विशेष उद्देश्य थे, जिनके आधार पर वह काम करती थी। पहला उद्देश्य, जमींदारी प्रथा का अन्त, कृषि ऋण को समाप्त तथा बेगार प्रथा का अन्त आदि था। दूसरा उद्देश्य, भूमि कर में 50% की कमी तथा जमींदारों की भूमि को भूमिहीन किसानों में बाँटना आदि था।
3.154. बरदौली आंदोलन के दो नेताओं के नाम बताओ।
उत्तर : बरदौली आंदोलन ब्रिटिश सरकार के मनमाना राजस्व या भूमि कर के विरोध में किया गया कृषक आंदोलन था जिसके प्रमुख नेता वल्लभ भाई पटेल और महात्मा गांधी थे । इसके साथ ही शरदा बेन साह एवं मीठू बेन का नाम भी उल्लेखनीय है।
13.156. गिरनी कामगार यूनियन क्या था ?
उत्तर : साम्यवादी प्रगतिशील विचारधारा से प्रभावित युवा वर्ग द्वारा 1925 ई० के आस-पास क्रांतिकारी ट्रेड यूनियन स्थापित की जाने लगीं । इन्हीं यूनियनों में आर्थिक संघर्ष के साथ-साथ राजनी संघर्ष में भाग लेने वाली वामपंथी विचारधारा से प्रभावित प्रथम यूनियन 'गिरनी कामगार यूनियन' बम्बई में स्थापित हुई । बम्बई के लगभग सभी कम्युनिस्ट नेता, जैसे आल्वे, मिराजकर, जोगलेकर आदि इससे जुड़े हुए थे ।
3.157. मजदूर और किसान पार्टी की स्थापना किसने और कब किया ?
उत्तर : साम्यवाद से प्रेरित भारतीय युवा वर्ग का एक दल धीरे-धीरे मजदूर संगठनों में अपनी प्रभाव वृद्धि करने लगा। कई मजदूर संगठनों का नेतृत्व भी उनके हाथों में आ गया। ऐसे युवा वर्ग ने कलकत्ता में "पीजेन्ट्स एण्ड वर्कर्स पाटी" बनाई एवं बम्बई में वर्कर्स एण्ड पीजेन्ट्स पार्टी का गठन किया । मुजफ्फर अहमद, कवि नजरुल इस्लाम, कुतुबुद्दीन अहमद, हेमन्त कुमार सरकार आदि ने इस कार्य में प्रमुख भूमिका निभाई।
|3.158. भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC) की स्थापना किसने और कब किया?
उत्तर : भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 1947 ई० में किया।
विभाग-घ
4.44. किसान आंदोलन के रूप में इका आन्दोलन (Eka Movement) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर : एका का अर्थ होता है एकता अर्थात् मिलजुल कर रहना। दूसरे शब्दों में कहा जाय तो अवध के समस्त किसान, निम्न वर्ग और ब्रिटिश सरकार द्वारा अपमानित छोटे-छोटे जमीन्दारों के एकजुट होकर बिटिश प्रशासन के अधीन जमींदारों और ठेकेदारों के विरुद्ध की गयी आन्दोलन को एका आन्दोलन (Eka Movement) कहते हैं। एका आन्दोलन सन् 1921 ई० में मदारी पासी और सहरेब के द्वारा चलाया गया था यह आन्दोलन अवध क्षेत्र में हुआ था, जैसे - हरदोई, बहराईच, सुल्तानपुर, बाराबंकी और सीतापुर इत्यादि । मदारी पासी और सहरेब दोनों किसान एवं निम्न वर्ग (जाति) के थे, जो भलीभांति किसानों और निम्नवर्ग के समस्या (दुःख) को समझते थे। पासी और सहरेब इस किसान आंदोलन में उन लोगों के साथ थे, जो ब्रिटिश सरकार द्वारा शोषित किये गये थे।
4.45. भारत में 20वीं सदी के कृषक आन्दोलन की विशेषताएँ क्या थे?
उत्तर : भारतीय किसान, सरकार की भू- राजस्व नीति तथा जमींदारों के अत्याचार से पीड़ित थे ।20वीं सदी तक उन्होंने समझ लिया कि संगठित हुए बिना उनकी रक्षा नहीं हो सकती । फलतः 20वीं सदी के दूसरे दशक में किसानों के सामाजिक आंदोलन के दौर आरंभ हो गये। महारष्ट्रियन ब्राह्मण बाबू रामचन्द्र ने अवध के किसानों को जमीदारों के विरुद्ध संगठित किया । सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया तो हजारों किसान कचहरी पहुँचकर उनकी रिहाई की माँग करने लगे। 1920 ई० में किसान आंदोलन गाँधीजी के असहयोग आंदोलन से जुड़ गया। 1920 ई. तक किसान आंदोलन उत्तर प्रदेश के रायबरेली, फैजाबाद और सुल्तानपुर जिलों तक फैल गया। किसानों के प्रदर्शन तथा जमींदारों और भजनों के घर पर उनके दावे आरंभ हो गये। 1922 ई० के आरंभ में हरदोई, बाराबंकी, सीतापुर आदि जिलों में भी आंदोलन फैल गया । किसानों ने मदारी पासी के नेतृत्व में एक आंदोलन छेड़ दिया। उत्तर बिहार में स्वामी विद्यानंद ने किसान आंदोलन का नेतृत्व किया। बंगाल में किसानों ने कर न देने का आंदोलन छेड़ दिया । मिदनापुर जिला में किसानों ने यूनियन बोर्ड को कर नहीं दिया फलस्वरूप यूनियन बोर्ड के सदस्यों को इस्तीफा देने पड़ा । गुजरात में वल्लभभाई पटेल तथा कनवर जी मेहता के नेतृत्व में सन् 1929 में बारदोली सत्याग्रह छिड़ गया। जिससे सरकार को भू-राजस्व की बढ़ी हुई दर कम करनी पड़ी । उत्तर प्रदेश में सन् 1930 में लगान वृद्धि के विरुद्ध किसानों ने आंदोलन छेड़ दिया। इन्होंने लगान देना बंद कर दिया । रायबरेली, इटावा, कानपुर, उन्नाव और इलाहाबाद जनपद इससे प्रभावित हुए, किन्तु सरकार ने इसे सख्ती के साथ कुचल दिया।
1937-38 ई० में किसान सभा ने बिहार में जमींदारों के विरुद्ध आंदोलन छेड़ दिया। यह आंदोलन किसानों को जमीन से जमीदारो द्वारा बेदखल करने के विरोध में था बंगाल में बर्दवान के किसानों ने आंदोलन किया तो उनके कर में कमी की गयी । उत्तर बंगाल में जमीदार हाट मेलों में चावल, सब्जी, धान आदि बेचने वालों पर कर वसूलते थे । किसानों ने कर देना मंजूर नहीं किया।
1939 ई० में किसानों ने बंगाल में बटाईदार आंदोलन छेड़ दिया। उड़ीसा और आंध्र प्रदेश में भी आंदोलन हुए । कृषक आंदोलन में आंध्र का 'तेलंगाना विद्रोह' और बंगाल का तेभागा आंदोलन' उल्लेखनीय आंदोलन थे।
4.46. भारत में 20वीं सदी के अमिक आंदोलन का संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर : मालिकों के शोषण तथा अत्याचार के शिकार मजदूरों ने 19वीं सदी के प्रथमार्द्ध एवं द्वितीयार्द्ध में ही जहाँ-तहाँ हड़ताल करनी आरंभ कर दी थी । 1827 ई० में पालकीवालों ने एक महीने की लंबी हड़ताल की, 1862 ई० में रेलवे के लेखा विभाग के कर्मचारियों ने, 1869 ई० में बम्बई नगरपालिका के कसाइयों ने,1873 ई० में बम्बई के सरकारी प्रेस कर्मचारियों ने तथा 1877 ई० में नागपुर की टाटा एम्प्रेस मिल के बुनकरों की हड़ताल जैसी घटनाएँ होती रहीं घीरे-धीरे मजदूर संगठन बनने लगे।
आल इंडिया ट्रेड यूनियन काँग्रेस प्रथम विश्वयुद्ध के बाद 1917 ई० से 1920 ई० तक प्रत्येक सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्र में मजदूरों के अनेक संगठन बन गये। 31 अक्टूबर 1920 ई० को अखिल भारतीय संस्था 'आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस' की स्थापना की गई इसके अध्यक्ष लाला लजपत राय तथा उपाध्यक्षों में तिलक, एनी बेस्ट, सी० एफ० एण्डूज, बरेलवी तथा बपतिस्ता थे इस संस्था की प्रेरणा से श्रमिक हड़तालों की संख्या और क्षेत्र में काफी वृद्धि हुई।
साम्यवाद से प्रभावित एक युवा वर्ग मजदूर संगठनों में प्रभावी हो उठा ए०आई०टी०यू०सी० में भी उनकी सक्रियता बढ़ गई ऐसी ही युवा वर्ग ने कलकत्ता में पीजेन्टस एण्ड वर्कर्स पार्टी तथा बम्बई में वर्कर्स एण्ड पीजेन्टस पार्टी का गठन किया। 1934 ई० में काँग्रेस के वामपंथी वर्ग ने सोशलिस्ट फोरम नामक समाजवादी गुट बनाया जिसके नेता जयप्रकाश नारायण थे। बाद में डाँगे आदि कम्युनिस्ट नेता भी उसमें शामिल हो गये । इससे राष्ट्रीय स्तर पर मजदूर आंदोलन चल निकला, अत: मजदूर आंदोलन ने व्यवस्थित रूप ले लिया और बाद के दिनों में कई प्रखर हड़तालें होती रहीं।
4.47. तेभागा एवं तेलंगाना आंदोलन के स्वरूप का संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर : तेभागा आन्दोलन और तेलंगाना आंदोलन दोनों ही किसान आंदोलन हैं, जो आधुनिक भारतीय इतिहास में अहम स्थान रखते हैं। इन दोनों आंदोलन के माध्यम से किसान अपने वर्चस्व को कायम रख पाये थे। तेभागा आंदोलन सन् 1946 ई० से सन् 1947 ई० तक चला। इस आंदोलन का नेतृतव कम्पाराम सिंह और भवानी सिंह ने किया। यह आंदोलन बंगाल के कई क्षेत्रों में किया गया था जैसे- दिनाजपुर, जलपाईगुड़ी, रंगपुर, मैमनसिंह, मदनपुर, मालदा और 24 परगना (काकद्वीप) आदि।
वहीं दूसरी तरफ उसी वर्ष आन्ध्र प्रदेश में तेलंगाना आंदोलन किया गया। यह आंदोलन सन् 1946 से लेकर सन् 1951 ई० तक चला। यह संघर्ष या आंदोलन हैदराबाद के किसानों द्वारा किया गया था उस समय हैदराबाद के निजाम अधीनस्थ जमींदारों और ठेकेदारों ने वहाँ वे किसानों के ऊपर अत्याचार किया करते थे, कभी-कभी मनमाना भूमि कर (Land tax) वसूलते थे। इसी के विरोध में वहाँ के किसानों ने विद्रोह छेड़ दिया था।
4.48. किसान आंदोलन के रूप में बारदोली सत्याग्रह (Bardoli Satyagraha) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर : किसान आन्दोलन के रूप में बारदोली सत्याग्रह की एक अहम भूमिका रही है। यह सत्याग्रह या आन्दोलन ब्रिटिश सरकार के विरोध में की गयी थी, क्योंकि ब्रिटिश सरकार बारदौली के किसानों से मनमाना राजस्व या भूमि कर (Tax) वसूला करती थी। यह घटना गुजरात स्थित सूरत जिले के बारदौली इलाके की है जहाँ सन् 1928 ई० के पहले से ही ब्रिटिश या अंग्रेजी प्रशासन किसानों से मनमाना भूमि कर वसूलती थी। बारडोली सत्याग्रह सन् 1928 ई० में श्री वल्लभ भाई पटेल के द्वारा किया गया था अर्थात् पटेल के नेतृत्व में बारदौली के समस्त किसानों (पुरुषों, महिलाओं तथा बच्चों और बूढ़ो) ने बढी हुयी भूमिकर के विरुद्ध अंग्रेजी सरकार के खिलाफ यह सत्याग्रह या आन्दोलन चलाये। इस सत्याग्रह में भारी तादाद में महिलाओं ने भी भाग लिया। इन महिलाओं में कस्तूरबा गांधी, मनी बेन पटेल (बल्लभ भाई पटेल की पुत्री), शारदा बेन शाह, मीठू बेन, भक्तिबा और शारदा मेहता इत्यादि थी यह सत्याग्रह या आन्दोलन आग की भाँति तीव्र रूप ले लिया था जिसके वजह से पटेल जी को अंग्रेजी सरकार गिरफ्तार करने के लिए आतूर हो गये। परन्तु अगस्त, 1928 में गाँधीजी बारदौली पहुँचे और उन्होंने घोषणा किया कि यदि सरकार पटेल जी को गिरफ्तार करती है तो वे स्वयं इस आंदोलन का नेतृत्व करेंगे। अंत में सरकार ने एक राजस्व अधिकारी मैक्सवेल (Maxwell) से इस मामले की जांच करवाई। उसने भी लगान की वृद्धि को अनुचित बताया। अत: लगान या कर घटा दिया गया। इस प्रकार अहिंसात्मक कृषक या किसान आन्दोलन के रूप में बारदौली सत्याग्रह सफल हुआ और इस सफलता का मुख्य पात्र श्री वल्लभ भाई पटेल और गाँधीजी थे बारदौली के किसान महिलाओं ने इस सफलता से प्रसन्न होकर पटेल जी को 'सरदार' नाम की उपाधि दी। तब से श्री बल्लभ भाई पटले सरदार बल्लभ भाई पटेल कहे जाने लगे।
4.49. सविनय अवज्ञा आंदोलन के समय किसानों की भूमिका क्या थी?
या, सविनय अवज्ञा आंदोलन के साथ किसान आंदोलन का क्या संबंध था?
या, सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) का संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर : महात्मा गांधी जी के द्वारा शुरू की गयी सविनय अवज्ञा आन्दोलन ( Civil Disobedience Movement) एक प्रकार से किसान आन्दोलन और मजदूर आन्दोलन भी माना जाता है क्योंकि दोनों वर्ग के लोगों ने इस आंदोलन में भाग लिया था। यद्यपि हमलोगों को यहाँ केवल किसानों की भागीदारी की ही चर्चा करनी है और उनके द्वारा की गयी विभिन्न आंदोलन के बारे में चर्चा करना है। महात्मा गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन डांडी यात्रा(Dandi March) के बाद शुरू किये थे अर्थात् डांडी यात्रा या नमक सत्याग्रह का ही परिणाम था सविनय अवज्ञा आन्दोलन। नमक सत्याग्रह 5 अप्रैल, 1930 को समाप्त हुआ था और सविनय अवज्ञा आन्दोलन 6 अप्रैल, 1930 को शुरू की गयी थी। इसी आन्दोलन के दौरान किसानों के विभिन्न आंदोलन शुरू हुये थे। जिसके कारण गाँधी जी ने किसानों पर हो रहे अत्याचारों का सामना करने के लिए तैयार हो पड़े। ये किसान आन्दोलन निम्नलिखित हैं :
1. लखनऊ में अखिल भारतीय किसान कांग्रेस का गठन : सन् 1936 ई० में लखनऊ में अखिल भारतीय किसान कांग्रेस का गठन किया गया था। इसके प्रथम अध्यक्ष स्वामी सहजानंद सरस्वती थे। इनके ही प्रयास से किसानों को जमींदारों से मुक्ति मिली।
2. पंजाब में कृषक आंदोलन : सन् 1937 ई० में पंजाब कृषक आन्दोलन चलाया गया तथा पंजाब के किसानों को अंग्रेजी सरकार के कर बोझ से मुक्ति दिलाया। इसी प्रकार के कई और किसान आन्दोलन है, जिनका सविनय अवज्ञा आन्दोलन से संबंध गहरा है। जैसे :- आध्र प्रदेश का कृषक आंदोलन, बिहार का कृषक आंदोलन और मालाबार क्षेत्र का किसान आन्दोलन आदि। सविनय अवज्ञा आंदोलन पूर्णरूप से सन् 1934 ई० में समाप्त हो गयी लेकिन किसान आंदोलन चलती रही।
4.50. श्रमिक या मजदूर आंदोलन के रूप में मजदूर किसान दल (Workers and Peasants Party) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर : श्रमिक या मजदूर आंदोलन के रूप में मजदूर किसान दल (Workers and Peasants Party) की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस दल के माध्यम से अनेकों श्रमिको या मजदूरों तथा कृषक या किसानों को ब्रिटिश सरकार के विभिन्न राजस्व कर (Tax) से राहत मिलती थी। इतना ही नहीं, बल्कि उनको ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रताडित भी नहीं किया जा रहा था। मजदूर किसान दल भारत की एक राजनीतिक पार्टी थी। इस पार्टी की स्थापना सर्वप्रथम कलकत्ता में प्रान्तीय स्तर पर हुई थी। इसके बाद इस दल को 'अखिल भारतीय मजूदर एवं किसान दल' (All India Workers and Peasants' Party) में रूपान्तरित किया गया था। इसका गठन सन् 1928 ई० में हुआ और इसका पहला अधिवेशन कलकत्ता में आयोजित किया गया। इस अधिवेशन के अध्यक्ष 'सोहनलाल जोशी थे। मजदूर किसान दल (Workers and Peasants' Party) राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर निम्नलिखित हैं :
1. अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization) : यह संगठन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बनायी गयी थी जो अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर श्रमिकों तथा किसानों की समस्याओं का समाधान करता था तथा उन्हें इन्साफ भी दिलाता था।
2. अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (All India Trade Union Congress) : यह संगठन अखिल भारतीय स्तर पर मजदूरों और किसानों को भारतीय ब्रिटिश सरकार के शोषण से मुक्ति दिलाती थी। इस संगठन की स्थापना सन् 1920 ई० में लाला लाजपत राय, जोसेफ बैपटिस्टा और दीवान चमनलाल द्वारा किया गया था।
3. कांग्रेस समाजवादी दल (Congress Socialist Party) : इस दल की स्थापना सन् 1934 ई० में जय प्रकाश नारायण, मीनू मसानी और एन० एम० जोशी ने किया था इन सभी मजदूर किसान दलो के अतिरिक्त अन्य संगठन भी है जिसने मजदूर और किसानों के लिए अनेकों कार्य किये। इसमें अखिल भारतीय किसान सभा (All India Kisan Sabha), अखिल भारतीय ट्रेड यूनियनिस्ट फेडरेशन (All India Trade Unionist Federation) तथा इन्डियन ट्रेड यूनियन कांग्रेस (Indian Trade Union Congress) आदि हैं।
4.51. तेभागा आंदोलन की विशेषताओं का विश्लेषण करो।
उत्तर : तेभागा आंदोलन एक किसान आन्दोलन था । यह आन्दोलन 1946 से लेकर 1947 ई० तक बंगाल के कई क्षेत्रों में चलाया गया था, जिसमें दिनाजपुर, मिदनापुर, रंगपुर, 24 परगना, खुलना, जलपाईगुड़ी और मैमनसिंह आदि हैं। यह आंदोलन किसानों के ऊपर बढ़ाये गये भूमि कर के विरोध में किया गया था, जिसका नेतृत्व कम्पाराम सिंह और भवन सिंह कर रहे थे। इस आंदोलन के अन्य नेतृत्व में कृषक विनोद राय, सुनील सेन, भवानी सेन, मोनी सिंह, विभूति गुहा, समर गांगुली तथा गुरूदास ताल्लुकेदार आदि थे। परन्तु अंग्रेजी सरकार के विशेष मदद से जमींदारों ने इस आंदोलन को दबा दिया। इस प्रकार हमलोग देख पाते है कि तेभागा आंदोलन एक प्रकार का किसान आंदोलन था, जो बंगाल के कई क्षेत्रों में किया गया था।
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