CLASS 10 HISTORY CHAPTER-3 WBBSE |NOTES प्रतिरोध और आन्दोलन : विशेषताएँ एवं निरीक्षण |
प्रतिरोध और आन्दोलन : विशेषताएँ एवं निरीक्षण
Notes for:-
CLASS 10th (MADHYAMIK)
HISTORY
CHAPTER-3
प्रतिरोध और आन्दोलन : विशेषताएँ एवं निरीक्षण विभाग-ख
(Class 10 History Chapter 3 West Bengal Board)तीतूमीर का वास्तविक नाम क्या था?
उत्तर : तीतूमीर का वास्तविक नाम मीर निसार अली था।
2.1.51. संन्यासी विद्रोह के एक नेता का नाम लिखें।
उत्तर : भवानी पाठक।
2.1.52. दामिन-ए-कोह का क्या अर्थ होता है?
उत्तर : दामिन-ए-कोह का अर्थ वनों से घिरा हुआ पहाड़ी अंचल होता है।
2.1.53. वैधक की डिग्री किसने प्राप्त की?
उत्तर : पं० मधुसूदन गुप्ता ने।
12.1.54. 'रंगपुर विद्रोह' किसके विरुद्ध शुरू हुआ था?
उत्तर : इजारेदारी देवी सिंह के विरुद्ध।
[2.1.55.] फकीर विद्रोह कहाँ हुआ था?
उत्तर : बंगाल में।
12.1.56. फकीर विद्रोह कब शुरू हुआ था?
उत्तर : सन् 1776 ई० में।
12.1.57. फराजी आंदोलन कहाँ हुआ था?
उत्तर : बंगाल के फरीदपुर जिला में।
12.1.58. फराजी आंदोलन कब प्रारम्भ हुआ था?
उत्तर : सन् 1820 ई० में
12.1.59. दुध मियाँ का वास्तविक नाम क्या था?
उत्तर : मोहम्मद मोहसिन।
12.1.60. वहाबी आन्दोलन की शुरूआत कब हुई थी?
उत्तर : सन् 1831 ई० में।
12.1.61. वहाबी आन्दोलन कहाँ हुआ था?
उत्तर : बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश आदि में। (नोट :- यह आन्दोलन सर्व प्रथम अरब में हुआ था।)
2.1.62. 'नील आयोग' (Indigo Commission ) का गठन किसने किया था ?
उत्तर : अंग्रेजी सरकार ने।
2.1.63.] 'नील आयोग' का गठन किसलिए किया गया था?
उत्तर : नील की खेती संबंधित जाँच के लिए।
2.1.64. पाबना विद्रोह कब शुरू हुआ?
उत्तर : 1873 ई० में।
21.65.| पाबना विद्रोह कहाँ हुआ था?
उत्तर : बंगाल का पाबना जिला, (जो अब बांग्लादेश का अंश बन चुका है।)
2.1.66.] कोल विद्रोह की समाप्ति कब हुई?
उत्तर : सन् 1832 ई० में।
12.1.67. कोल विद्रोह किस प्रकार का आंदोलन था ?
उत्तर : जनजातीय प्रकार का आन्दोलन।
[2.1.68. संथाल विद्रोह किस प्रकार का विद्रोह था?
उत्तर : जनजातीय परिवार का विद्रोह।
|2.1.69. मुण्डा विद्रोह भारत के किस राज्य में हुआ था ?
उत्तर : बिहार (छोटानागपुर) राज्य में।
12.1.70. रंगपुर विद्रोह कब हुआ था?
उत्तर : सन् 1783 ई० में।
|2.1.71.खूंटकट्टी किसे कहा जाता था ?
उत्तर : मुण्डा लोगों में सामूहिक खेती का प्रचलन था, उसे ही खूटकट्टी कहा जाता था।
2.1.72. पागलपंथी विद्रोह कहाँ हुआ था?
उत्तर : बंगाल (वर्तमान बंग्लादेश) के मैमन सिंह और शिवपुरी जिले में
'हुल विद्रोह' के नाम से कौन सा विद्रोह जाना जाता है ?
उत्तर : संथाल विद्रोह
(Class 10 History Chapter 3 West Bengal Board)
क्रान्ति से तुम क्या समझते हो ?
उत्तर : अधिकार एवं संगठनात्मक संरचना में होने वाला एक मूलभूत परिवर्तन जो अति अल्प समय में ही घटित होता है, क्रान्ति कहलाता है। क्रांति के उदाहरण है 18वीं शताब्दी की यूरोप की औद्योगिक क्रांति, जुलाई की क्रांति, फरवरी क्रांति तथा फ्रांसीसी क्रांति आदि।
मुण्डा विद्रोह की दो विशेषताओं का उल्लेख अथवा,
मुण्डा विद्रोह का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर : विशेषताएँ : (1) सरकार द्वारा सन् 1903 में छोटानागपुर टिनेन्सी ऐक्ट ( Chhotanagpur Tenancy Act) पास किया गया और मुण्डाओं की खुतकथी परम्परा को मान्यता दी गई। (2) विद्रोह समाप्ति के बाद भी भारत देश में मुण्डा जाति के विद्रोह के प्रतीक भी बनाया गया है, जो उनका बर्चस्व कायम रखता है।
(3) आन्दोलन की असफलता के बाद भी बिरसा मुंडा अपने समर्थकों का एकमात्र नेता मान लिये गये। लोग वीरसा मुण्डा की पूजा देवता की तरह करने लगे।
'तिसाला' क्या था?
उत्तर : 'तिसाला' एक नये प्रकार का भूमि कर (Land Tax) था, जो राजस्थान में आदिवासी भीलों के ऊपर भील विद्रोह के दौरान लगाया गया था।
3.40. नील विद्रोह की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर : विशेषताएँ : (i) यह विद्रोह अंग्रेजी प्रशासन के खिलाफ एक किसान विद्रोह था। (ii) इस विद्रोह में प्रथम बार देखा गया कि नीलहे किसानों के साथ मध्यम वर्ग एवं जमींदार वर्गों ने भी भाग लिया।
3.41. नील दर्पण' (Nil Darpan) किसका नाटक है और इसकी विषय-वस्तु व या है?
उत्तर : नील दर्पण' (Nil Darpan) 'दीनबंधु मित्र' का नाटक है तथा इसमें नील की खेती करने वाले किसानों पर नीलहे गोरे द्वारा किये गये अत्याचार को दिखाया गया है।
संन्यासी एवं फकीर विद्रोह क्या थे?
उत्तर : सरकार ने संन्यासियों के तीर्थयात्रा जाने एवं मनाने पर रोक लगा दिया। इससे संन्यासी लोग बहुत क्षब्ध हुए। अन्याय के विरुद्ध संन्यासियों के लड़ने की परम्परा थी और उन्होंने जनता से मिलकर कम्पनी की कोठियों तथा कोषों पर आक्रमण किए और कम्पनी के सैनिकों के विरुद्ध बहुत वीरता से लड़े। फकीर विद्रोह, फकीरों द्वारा किया गया एक आन्दोलन था, जो सन् 1776 ई० से लेकर 1777 ई० के बीच बंगाल में हुआ था। घुमक्कड़ जाति के लोगों को फकीर माना जाता है, जो एक स्थान से दूसरे स्थान घुमते हैं तथा अपना जीवन यापन किया करते हैं।
Class 10 History Chapter 3 West Bengal Board
हाजी शरीयतुल्ला कौन थे?
उत्तर : हाजी शरीयतुल्ला फराजी आंदोलन के जन्मदाता थे। इन्होंने 1804 ई० में फराजी नामक धार्मिक सम्प्रदाय की स्थापना की।
3.46. नील विद्रोह के प्रमुख केन्द्र कौन-कौन थे?
उत्तर : मालदा, मुर्शिदाबाद, बारासात, जूसर, नदियाँ, फरीदपुर, पाबना तथा खुलना आदि।
3.47. 'तारीख- ए-मोहम्मदी' आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर : तारीख-ए-मोहम्मदी' आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य 'काफिरों के देश' (दारूल हब) को मुसलमानों का देश (दारूल इस्लाम) में बदलना था। संन्यासी विद्रोह के दो प्रमुख कारण बताओ। उत्तर : (1) 1770 का बंगाल में भीषण अकाल एवं (ii) प्रशासन द्वारा तीर्थयात्रा पर प्रतिबंध लगाना आदि।
3.49. तीतूमीर कौन था ?
उत्तर : तीतूमीर सैय्यद अहमद के अनुयायी तथा बंगाल में वहाबी आन्दोलन के नेता थे।
'मिदनापुर की लक्ष्मीबाई के नाम से किसे जाना जाता था, और वह किस आदिवासी विद्रोह में जुड़ी हुई थी?
उत्तर : 'मिदनापुर की लक्ष्मीबाई के नाम से रानी शिरोमणी को जाना जाता है। वे चुआर विद्रोह में जुड़ी हुई थी।
संथाल विद्रोह के दो नेताओं के नाम बताएँ। उत्तर : सिद्धू और कान्हू संथाल विद्रोह के दो नेता थे।
3.52. संन्यासी विद्रोह के दो नेताओं के नाम बताइए।
उत्तर : भवानी पाठक और देवी चौधरानी।
डाहर (Dahar) का क्या अर्थ है ? सिद्ध-कान्हू डाहर कहाँ स्थित है ?
उत्तर : डाहर का अर्थ रास्ता (Street) होता है।कलकत्ता के एस्प्लानेड रो (Esplanade Row) को सिद्ध-कान्हू डाहर नाम दिया गया है।
13.54. रंगपुर विद्रोह क्यों हुआ था ?
उत्तर : यह विद्रोह अत्याचारी ईजारादार देवी सिंह के विरुद्ध किया गया था क्योंकि उसने एक निश्चित राजस्व पर जमीन कम्पनी से लेकर किसानों को रैयत के रूप में जमीन देकर उनसे मनमाना भू-राजस्व वसूलता था जिससे किसानों के भीतर उसके प्रति असंतोष की भावना बढ़ने लगी और अंत में जाकर यह विद्रोह हुआ।
औपनिवेशिक वन (अरण्य) कानून क्या है ?
उत्तर : भारतीय वनों पर ब्रिटिश आधिपत्य हासिल करने के लिए 1865 में एक कानून बनाया गया, जिसे औपनिवेशिक वन (अरण्य) कानून-1865 (Colonial Forest Act-1865) कहा जाता है। इस कानून व्यवस्था में आदिवासिया का आस्था नहीं था।
13.56. रामकृष्ण मिशन की स्थापना किसके द्वारा एवं कब की गई ?
उत्तर : स्वामी विवेकानंद जी ने 1896 ई० में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की जिसने न केवल भारत वरन् विश्व भर में मानव सेवा हेतु अस्पताल, अनाथालय, पुस्तकालय, शिक्षालय तथा सेवाश्रमों की स्थापना की और वर्तमान में भी उनका संचालन कर रही है।
ब्रिटिश सरकार ने वन अधिनियम क्यों पारित किया?
उत्तर : वन के प्रयोग और वन की सम्पदा पर सरकारी नियत्रण और इजारेदारी की स्थापनाका कार्य लार्ड डलहौजी के समय में आरम्भ किया गया और इसी उद्देश्य से वन कानून को 1865 में पारित किया गया। 1878 ई० में दूसरा कानून बनाकर सरकार ने अपने अधिकारों के क्षेत्र को बढ़ा लिया।
विद्रोह से तुम क्या समझते हो?
उत्तर : राजद्रोह गा विद्रोह से तात्पर्य प्रचलित व्यवस्া में परिवर्तन की मांग को लेकर विरोधी जन समुदाय द्वारा आंदोलन करना है। विद्रोही कालीन या दीर्घकालीन हो सकता है विद्रोह व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों हो सकते है। ब्रिटिश शासन काल में पटित रंगपुर विद्रोह, पावना विद्रोह, नील विद्रोह तथा सिपाही विद्रोह आदि विद्रोह के उदाहरण है।
चुआड़ कौन थे?
उत्तर : सुआ एक जाति है, जो बंगाल के मिदनापुर तथा बाकुडा जिले के रहने वाले थे। जहाँ पर ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने भूमि कर (Land Tax) अत्यधिक बढ़ा दिया था। चुआड़ जाति के लोग ब्रिटिश सरकार से छुटकारी মाहते थे। अत: रायपुर के एक विद्रोही जमीदार 'दुर्जन सिंह ने सन् 1798 ई० में उन चुआड़ जाति के लोगों द्वारा की जाने वाली चुआर विद्रोह का नेतृत्व किया।
(Class 10 History Chapter 3 West Bengal Board)
[2.1.68. संथाल विद्रोह किस प्रकार का विद्रोह था?
उत्तर : जनजातीय परिवार का विद्रोह।
|2.1.69. मुण्डा विद्रोह भारत के किस राज्य में हुआ था ?
उत्तर : बिहार (छोटानागपुर) राज्य में।
12.1.70. रंगपुर विद्रोह कब हुआ था?
उत्तर : सन् 1783 ई० में।
|2.1.71.खूंटकट्टी किसे कहा जाता था ?
उत्तर : मुण्डा लोगों में सामूहिक खेती का प्रचलन था, उसे ही खूटकट्टी कहा जाता था।
2.1.72. पागलपंथी विद्रोह कहाँ हुआ था?
उत्तर : बंगाल (वर्तमान बंग्लादेश) के मैमन सिंह और शिवपुरी जिले में
'हुल विद्रोह' के नाम से कौन सा विद्रोह जाना जाता है ?
उत्तर : संथाल विद्रोह
प्रतिरोध और आन्दोलन : विशेषताएँ एवं निरीक्षण
विभाग- ग
(Class 10 History Chapter 3 West Bengal Board)क्रान्ति से तुम क्या समझते हो ?
उत्तर : अधिकार एवं संगठनात्मक संरचना में होने वाला एक मूलभूत परिवर्तन जो अति अल्प समय में ही घटित होता है, क्रान्ति कहलाता है। क्रांति के उदाहरण है 18वीं शताब्दी की यूरोप की औद्योगिक क्रांति, जुलाई की क्रांति, फरवरी क्रांति तथा फ्रांसीसी क्रांति आदि।
मुण्डा विद्रोह की दो विशेषताओं का उल्लेख अथवा,
मुण्डा विद्रोह का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर : विशेषताएँ : (1) सरकार द्वारा सन् 1903 में छोटानागपुर टिनेन्सी ऐक्ट ( Chhotanagpur Tenancy Act) पास किया गया और मुण्डाओं की खुतकथी परम्परा को मान्यता दी गई। (2) विद्रोह समाप्ति के बाद भी भारत देश में मुण्डा जाति के विद्रोह के प्रतीक भी बनाया गया है, जो उनका बर्चस्व कायम रखता है।
(3) आन्दोलन की असफलता के बाद भी बिरसा मुंडा अपने समर्थकों का एकमात्र नेता मान लिये गये। लोग वीरसा मुण्डा की पूजा देवता की तरह करने लगे।
'तिसाला' क्या था?
उत्तर : 'तिसाला' एक नये प्रकार का भूमि कर (Land Tax) था, जो राजस्थान में आदिवासी भीलों के ऊपर भील विद्रोह के दौरान लगाया गया था।
3.40. नील विद्रोह की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर : विशेषताएँ : (i) यह विद्रोह अंग्रेजी प्रशासन के खिलाफ एक किसान विद्रोह था। (ii) इस विद्रोह में प्रथम बार देखा गया कि नीलहे किसानों के साथ मध्यम वर्ग एवं जमींदार वर्गों ने भी भाग लिया।
3.41. नील दर्पण' (Nil Darpan) किसका नाटक है और इसकी विषय-वस्तु व या है?
उत्तर : नील दर्पण' (Nil Darpan) 'दीनबंधु मित्र' का नाटक है तथा इसमें नील की खेती करने वाले किसानों पर नीलहे गोरे द्वारा किये गये अत्याचार को दिखाया गया है।
संन्यासी एवं फकीर विद्रोह क्या थे?
उत्तर : सरकार ने संन्यासियों के तीर्थयात्रा जाने एवं मनाने पर रोक लगा दिया। इससे संन्यासी लोग बहुत क्षब्ध हुए। अन्याय के विरुद्ध संन्यासियों के लड़ने की परम्परा थी और उन्होंने जनता से मिलकर कम्पनी की कोठियों तथा कोषों पर आक्रमण किए और कम्पनी के सैनिकों के विरुद्ध बहुत वीरता से लड़े। फकीर विद्रोह, फकीरों द्वारा किया गया एक आन्दोलन था, जो सन् 1776 ई० से लेकर 1777 ई० के बीच बंगाल में हुआ था। घुमक्कड़ जाति के लोगों को फकीर माना जाता है, जो एक स्थान से दूसरे स्थान घुमते हैं तथा अपना जीवन यापन किया करते हैं।
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हाजी शरीयतुल्ला कौन थे?
उत्तर : हाजी शरीयतुल्ला फराजी आंदोलन के जन्मदाता थे। इन्होंने 1804 ई० में फराजी नामक धार्मिक सम्प्रदाय की स्थापना की।
3.46. नील विद्रोह के प्रमुख केन्द्र कौन-कौन थे?
उत्तर : मालदा, मुर्शिदाबाद, बारासात, जूसर, नदियाँ, फरीदपुर, पाबना तथा खुलना आदि।
3.47. 'तारीख- ए-मोहम्मदी' आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर : तारीख-ए-मोहम्मदी' आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य 'काफिरों के देश' (दारूल हब) को मुसलमानों का देश (दारूल इस्लाम) में बदलना था। संन्यासी विद्रोह के दो प्रमुख कारण बताओ। उत्तर : (1) 1770 का बंगाल में भीषण अकाल एवं (ii) प्रशासन द्वारा तीर्थयात्रा पर प्रतिबंध लगाना आदि।
3.49. तीतूमीर कौन था ?
उत्तर : तीतूमीर सैय्यद अहमद के अनुयायी तथा बंगाल में वहाबी आन्दोलन के नेता थे।
'मिदनापुर की लक्ष्मीबाई के नाम से किसे जाना जाता था, और वह किस आदिवासी विद्रोह में जुड़ी हुई थी?
उत्तर : 'मिदनापुर की लक्ष्मीबाई के नाम से रानी शिरोमणी को जाना जाता है। वे चुआर विद्रोह में जुड़ी हुई थी।
संथाल विद्रोह के दो नेताओं के नाम बताएँ। उत्तर : सिद्धू और कान्हू संथाल विद्रोह के दो नेता थे।
3.52. संन्यासी विद्रोह के दो नेताओं के नाम बताइए।
उत्तर : भवानी पाठक और देवी चौधरानी।
डाहर (Dahar) का क्या अर्थ है ? सिद्ध-कान्हू डाहर कहाँ स्थित है ?
उत्तर : डाहर का अर्थ रास्ता (Street) होता है।कलकत्ता के एस्प्लानेड रो (Esplanade Row) को सिद्ध-कान्हू डाहर नाम दिया गया है।
13.54. रंगपुर विद्रोह क्यों हुआ था ?
उत्तर : यह विद्रोह अत्याचारी ईजारादार देवी सिंह के विरुद्ध किया गया था क्योंकि उसने एक निश्चित राजस्व पर जमीन कम्पनी से लेकर किसानों को रैयत के रूप में जमीन देकर उनसे मनमाना भू-राजस्व वसूलता था जिससे किसानों के भीतर उसके प्रति असंतोष की भावना बढ़ने लगी और अंत में जाकर यह विद्रोह हुआ।
औपनिवेशिक वन (अरण्य) कानून क्या है ?
उत्तर : भारतीय वनों पर ब्रिटिश आधिपत्य हासिल करने के लिए 1865 में एक कानून बनाया गया, जिसे औपनिवेशिक वन (अरण्य) कानून-1865 (Colonial Forest Act-1865) कहा जाता है। इस कानून व्यवस्था में आदिवासिया का आस्था नहीं था।
13.56. रामकृष्ण मिशन की स्थापना किसके द्वारा एवं कब की गई ?
उत्तर : स्वामी विवेकानंद जी ने 1896 ई० में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की जिसने न केवल भारत वरन् विश्व भर में मानव सेवा हेतु अस्पताल, अनाथालय, पुस्तकालय, शिक्षालय तथा सेवाश्रमों की स्थापना की और वर्तमान में भी उनका संचालन कर रही है।
ब्रिटिश सरकार ने वन अधिनियम क्यों पारित किया?
उत्तर : वन के प्रयोग और वन की सम्पदा पर सरकारी नियत्रण और इजारेदारी की स्थापनाका कार्य लार्ड डलहौजी के समय में आरम्भ किया गया और इसी उद्देश्य से वन कानून को 1865 में पारित किया गया। 1878 ई० में दूसरा कानून बनाकर सरकार ने अपने अधिकारों के क्षेत्र को बढ़ा लिया।
विद्रोह से तुम क्या समझते हो?
उत्तर : राजद्रोह गा विद्रोह से तात्पर्य प्रचलित व्यवस्া में परिवर्तन की मांग को लेकर विरोधी जन समुदाय द्वारा आंदोलन करना है। विद्रोही कालीन या दीर्घकालीन हो सकता है विद्रोह व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों हो सकते है। ब्रिटिश शासन काल में पटित रंगपुर विद्रोह, पावना विद्रोह, नील विद्रोह तथा सिपाही विद्रोह आदि विद्रोह के उदाहरण है।
चुआड़ कौन थे?
उत्तर : सुआ एक जाति है, जो बंगाल के मिदनापुर तथा बाकुडा जिले के रहने वाले थे। जहाँ पर ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने भूमि कर (Land Tax) अत्यधिक बढ़ा दिया था। चुआड़ जाति के लोग ब्रिटिश सरकार से छुटकारी মाहते थे। अत: रायपुर के एक विद्रोही जमीदार 'दुर्जन सिंह ने सन् 1798 ई० में उन चुआड़ जाति के लोगों द्वारा की जाने वाली चुआर विद्रोह का नेतृत्व किया।
(Class 10 History Chapter 3 West Bengal Board)
भग्नाडिही का मैदान यादगार क्यों है ?
उत्तर : भग्नाडिही का मैदान इसलिए यादगार है क्योकि सिधू एवं कानू के नेतृत्व में होने वाला सचाल विद्रोह का प्रमुख स्थान यही था।
संथाल विद्रोह एवं कोल विद्रोह के दो नेताओं के नाम बताओ।
उत्तर : संथाल विद्रोह के दो नेता सिद्ध एवं कानू थे, तथा कोल विद्रोह के नेताओं में बुद्ध भगत, केशव भगत एवं मदरा महतो आदि प्रमुख
[3.62, नील विद्रोह के दो नेताओं के नाम बताओ।
उत्तर : नील विद्रोह के दो नेताओं का नाम दिगम्बर विश्वास' और 'विष्णु चरण विश्वास था।
3.63 बारासात विद्रोह क्या है?
उत्तर : तीतर ने अपने 600 समर्थकों को लेकर बारासात के पास नारकेसरिया में बाँस का एक किला बनवाया जहाँ पर देखते ही देखते, जमींदारों एवं पूंजीपति वर्ग द्वारा सताये गये लोगों को (लगभग 6000 लोग) तीतूमर ने अपने साथ रख लिया और उन्हें अरख-शख का प्रशिक्षण देने लगे। तीतृमीर एवं उनके अनुयापिओं ने सन् 1831 ई० में बारासात पास अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। इस विद्रोह को बारासात विद्रोह कहा जाता है।
| 3.64. बिरसा मुंडा कौन था ?
उत्तर : बिरसा मुण्डा, जनजाति या अदिवासी जाति द्वारा किया गया एक विद्रोह जो मुण्डा विद्रोह के नाम से जाना जाता है. का नेता था । मुण्डा विद्रोह की शुरूआत दक्षिणी बिहार के छोटानागपुर इलाके के अन्तर्गत राँची, सिंहभूम, पलामू तथा हजारीबाग इत्यादि क्षेत्रों हुआ था।
3.65. मुहम्मद मोहसिन कौन थे?
उत्तर : मुहम्मद मोहसिन हाजी शरीफ तुल्ला का पुत्र तथा फराजी आंदोलन के नेता थे ये दुनिया के नाम से प्रसिद्ध थे।
3.66 पबना के किसान आंदोलन के दो विशेषताएँ बताओ ।
: विशेषताएं : (1) किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर चलाये गये आंदोलन के बावजूद हिंसक वारदाते नाममात्र ही हुई। (2) इस क्षेत्र के किसान मुख्य रूप से मुसलमान थे लेकिन अंग्रेजों एवं जमींदारों ने इसे साप्रदायिक दगे का नाम दिया ।
प्रतिरोध और आन्दोलन : विशेषताएँ एवं निरीक्षण
विभाग-घ
(Class 10 History Chapter 3 West Bengal Board)4.23. द्वितीय चरण में चुआड़ विद्रोह की विशेषताएँ क्या थी ?
अथवा, चुआड़ विद्रोह का वर्णन कीजिए।
उत्तर : चुआड विद्रोह एक जनजाति आन्दोलन था। अकाल से उत्पन्न स्थिति तथा बढ़े हुए भूमि कर (Land Tax) तथा अन्य आर्थिक संकटों के कारण मेदिनीपुर जिले(Medinipur District), बंगाल की आदिम जाति के चुआड लोगों ने हथियार उठा लिए। अर्थात् चुआड एक जाति है, जो बंगाल के मिदनापुर तथा बांकुड़ा जिले के रहने वाले थे ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने भूमि कर (Land Tax) अत्यधिक बढ़ा दिया था जिससे उन जिले के चुआड़ जाति के लोगों के ऊपर भूमि कर देने का भार बढ़ता चला गया। इतना ही नहीं, बिटिश सरकार ने उनसे कर (Tax) वसूलने के दौरान घोर यातनाएँ भी दिया करते थे। इनके इस कार्य में अनेक बड़े-बड़े जमींदार भी साथ दिया करते थे। धीरे-धीरे यह अत्याचार बढ़ता चला गया। ब्रिटिश सरकार द्वारा छोटे-छोटे जमींदार भी अत्याचारित थे। इस प्रकार, चुआड जाति के लोग ब्रिटिश सरकार से छुटकारा पाना चाहते थे। अत: रायपुर के एक विद्रोही जमींदार दुर्जन सिंह ने सन् 1798 ई० में उन चुआड़ जाति लोगों का नेतृत्व किया। उनके ही नेतृत्व में चुआड़ों ने ब्रिटिश सरकार के बढ़े हुए भूमि कर(Land Tax) के विरुद्ध 'चुआड़ विद्रोह' सन् 1798 ई० से लेकर 1799 ई० तक किया। चुआड़ों ने इसके पहले भी सन् 1760 ई०से लेकर 1797 ई० तक विद्रोह किये थे, जो इस विद्रोह का प्रथम चरण (First Phase) कहलाता है तथा सन् 1798 ई० से लेकर 1799 ई० तक का किया गया विद्रोह इस विद्रोह का दूसरा चरण (Second Phase) कहलाता है। इतने आक्रामक विद्रोह के बावजूद भी अंग्रेजी सरकार ने इस विद्रोह का दमन कर दिया। इस विद्रोह में बहुत सारे चुआड़ जाति के लोगों के समेत दुर्जन सिंह की भी हत्या कर दी गयी थी।
4.24. नील विद्रोह का महत्व एवं विशेषताएँ लिखिए।
इत्तर : नील विद्रोह अंग्रेजी शासन के विरुद्ध एक किसान आन्दोलन था जो बंगाल एवं बिहार में किया गया था यह विद्रोह सन् 1859 ई० से लेकर 1860 ई० के बीच चला था और इस विद्रोह के नेता का नाम 'दिगम्बर विश्वास' और विष्णु चरण विश्वास' था।
नील विद्रोह नीलहे साहबों या गोरो के विनाशकारी नीतियों के विरुद्ध किया गया था, अर्थात् नीलहे और (अंग्रेज) नीलहे किसानों के जमीन को छीन लिया करते थे तथा उन किसानों को उनके ही भूमि पर नील की खेती करने के लिए जबर किया करते थे। फलस्वरूप विष्णुचरण विश्वास एवं दिगम्बर विश्वास के नेतृत्व में यह आन्दोलन चलाया गया। इस आंदोलन के निम्नलिखित महत्व है (1 ) यह विद्रोह अंग्रेजी प्रशासन के खिलाफ एक किसान विद्रोह था। (2) इस विद्रोह में प्रथम बार देखा गया कि नीलहे किसानों के साथ मध्यम वर्ग एवं जमींदार के के लोगों ने भी भाग लिया। (3) इस विद्रोह से प्रेरित होकर महात्मा गाँधी जी ने अपना चम्पारण सत्याग्रह आन्दोलन बिहार में चलाया । (v) यह विद्रोह अपने अंजामों तक लगभग सफल माना जाता है, क्योंकि यह विद्रोह सन्1857 के महा क्रान्ति के बाद ही किया गया था जिसमें जन समर्थन अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध उभड़ कर सामने आ चुका था।
कोल विद्रोह के विशेषताओं की चर्चा करो। अथवा, कोल विद्रोह का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर : कोल विद्रोह एक जनजातीय विद्रोह है, जो बिहार एवं झारखण्ड के क्षेत्रों में किया गया था। यह विद्रोह भूमिकर के विरुद्ध एवं अपनी प्रतिष्ठा को बचाने के लिए किया गया था इतना ही नहीं, अंग्रेजी सरकार द्वारा किये गये अत्याचार के खिलाफ कोल जाति के लोगों ने यह विद्रोह बुद्धा भगत के नेतृत्व में सन्1831 ई० में किये।
इस विद्रोह के निम्नलिखित कारण है:-
(1) अंग्रेजी सरकार ने कोल जाति की भूमि को छिन लिये थे तथा उसी भूमि को कर्ज के रूप में उनको खेतीबारी करने के लिए दिया करते थे।
(2) अंग्रेजी सरकार ने भूमि पर कर या लगान (Tax) लगा दिया जो कोल जाति के लोगों के लिए असहनीय था।
(3) अंग्रेजी सरकार ने सिक्ख एवं मुसलमानों को अपना मोहरा बनाकर उनके हाथों ही कोल जाति पर अत्याचार करवाया करता था।
(4) अंग्रेजी सरकार के अधीन जमींदारों एवं ठेकेदारों ने कोल जाति के ऊपर बारम्बार अत्याचार किया करते थे।
नेतागण : इन सभी कारणों के वजह से कोल जाति के लोगों ने कई नेताओं के नेतृत्व में सन्1831 ई० में कोल विद्रोह कर दिया। इन नेताओं में बुद्धा भगत, केशव भगत, गोमधर कुंवर, मदरा महतो, जोआ भगत तथा नरेन्द्र शाह इत्यादि थे।
विद्रोह का प्रसार : इस विद्रोह का प्रसार बिहार एवं झारखण्ड के अनेक क्षेत्रों में हुआ था। इन क्षेत्रों में राँची, सिंहभूमि, छोटानागपुर, हजारीबाग, पलामू तथा मानभूम इत्यादि थे।
विद्रोह का दमन : अंग्रेजी सरकार के आधुनिक हथियार (बन्दुक, तोप एवं मशीनें इत्यादि) के सामने कोल जाति के लोगों के तीर-धनुष, भाले तथा कुल्हाडे टीक नहीं पाये और अंग्रेजी सेना इस विद्रोह के नेताओं एवं जाति के लोगों को सन् 1832 ई० तक ध्वस्त कर दिया।
14.26. बंगाल में वहाबी आंदोलन के महत्व एवं विशेषताएँ लिखिए। अथवा, तीतूमीर के नेतृत्व में बंगाल में वहाबी आंदोलन के महत्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर : अब्दुल वहाब नाम का एक धर्म सुधारक जिसने इस्लाम धर्म में व्याप्त बुराइयों को दूर करने के लिए सुधार आंदोलन चलाया, वह वहाबी आन्दोलन' के नाम से जाना जाता है। बंगाल में वहाबी आंदोलन के नेता तीतृमीर थे जिनके नेतृत्व में 600 समर्थकों ने अंग्रेजों के विरूद्ध आंदोलन किये। देखते ही देखते इस आंदोलन में हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया और इस आंदोलन के निम्नलिखित महत्व या विशेषता हैं
(1) बंगाल में तीतूमीर के द्वारा चलाया गया वहाबी आंदोलन अंग्रेजी विरोधी था न कि धार्मिक आधार पर था।
(2) इस आंदोलन को अंग्रेजी विरोधी आदोलन के रूप में विस्तृत करने के लिए 'बॉँस का किला' बनाया गया था जो आदोलनकारियों का खेमा था, जहाँ पर वे सैनिक प्रशिक्षण लेते थे।
(3) देखते ही देखते इस किले या खेमे में जन-समर्थन का होड मच गया, जो अग्रेजों के लिए खतरे की घटी थी।
(4) इस आंदोलन में अंग्रेजों की ओर से नवीन हथियारों का प्रयोग किया गया जो इस आंदोलन का महत्वपूर्ण विषय माना जाता है।
आरभ में इस आंदोलन की प्रेरणा धार्मिक कारणों से हुई, किन्तु बाद में यह धार्मिक के बजाय आर्थक एवं राजनीतिक आंदोलन बन गया । वहाबी आंदोलन में हिन्दू-मुस्मिल को लक्ष्य करके ही 1843 ई० से अग्रेजों ने हिन्दू-मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक भेद-भाव बढ़ाने का प्रयास आरंभ कर दिया।
(Class 10 History Chapter 3 West Bengal Board)
4.27. तीतूमीर के बारासात विद्रोह का वर्णन कीजिए।
उत्तर : तीतूमीर का वास्तविक नाम मीर निसार अली था, परन्तु ये तीतूमीर के नाम से ही जाने जाते थे तीतूमीर ने अपने 300 समर्थकों को लेकर बारासात के पास नारकेलबेरिया में बाँस का एक किला बनवाया जहाँ पर सताये गये हजारों लोगों को तीतूमीर ने अपने साथ रखा और उन्हें अस्त्र-शस्त्र का प्रशिक्षण देने लगे। अत: तीतूमीर एवं उनके अनुयायियों ने सन्1831 ई० बारासात के पास अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। इसी विद्रोह को 'बारासात विद्रोह' कहा जाता है। इस विद्रोह के असफलता के निम्नलिखित कारण है :
(1)तीतूमीर ने अंग्रेजों का सामना करने के लिए 'बाँस का किला' तैयार करवाया जिसमें विभिन्न प्रकार के हथियार (तलवार, बर्षे तथा लाठियां) रखे जाते थे, जो विद्रोहियों का प्रमुख हथियार था। परन्तु अंग्रेजों के नवीन तकनीक के हथियार के सामने उनको हथियार टिक न पाये और ब्रिटिश गोलों के भार से तीतूमीर का 'बाँस का किला' ध्वस्त हो गया।
(2) तीतूमीर मारा गया और उसके 350 सहयोगी गिरफ्तार कर लिये गये । नेतृत्व का अभाव तथा सरकारी दमन के कारण तीतूमीर का बारासात आन्दोलन असफल रहा। इस प्रकार हमलोग तीतूमीर के बारासात विद्रोह के बारे में जान पाते है।
4.28. पागलपंथी आंदोलन एवं पाबना के कृषक आंदोलन की विशेषताएँ लिखो ।
उत्तर : पागलपंथी विद्रोह : अंग्रेजी शासन या सरकार के खिलाफ किया गया यह आंदोलन एक गैर-जनजातीय आन्दोलन था, जो लगभग सन् 1825 से लेकर 1827 ई० के बीच चला था । पागलपंथी विद्रोह के लोग धार्मिक सत्य, समानता तथा भाईचारे के समर्थक थे। वे असम तथा बंगाल के कई क्षेत्रों, जैसे- मैमनसिंह तथा शेरपुर में इस विद्रोह को अंग्रेजी शासन के विरुद्ध आरंभ किये थे। यह विद्रोह लगभग सन् 1825 ई० में आरम्भ किया गया था। विभिन्न नेताओं के नेतृत्व में यह आन्दोलन चलाया गया था। उस समय असम तथा बंगाल में एक विशेष प्रकार का धार्मिक सम्प्रदाय था जिसका नाम 'पागलपंथी' रखा गया था। इस धार्मिक सम्प्रदाय के प्रमुख एवं महत्वपूर्ण नेता 'टीपू शाह' या 'टीपू थे, जिनके नेतृत्व में यह विद्रोह चला था। इस विद्रोह के अन्य नेता करम शाह' थे जिन्होंने बंगाल में विशेष रूप से इस विद्रोह का नेतृत्व दिये थे। परन्तु अंग्रेजी सरकार के तीव्र आक्रमण के सामने यह धार्मिक सम्प्रदाय (पागलपंथी) नष्ट हो गया तथा इनके अनुयायियों को समाप्त कर दिया गया। इस विद्रोह की समाप्ति लगभग सन् 1827 ई० में हुई।
पाबना (पाबना) विद्रोह (1873-76) : बंगाल में पाबना जिले के यूसफशाही परगना के किसानों ने 1859-73 तक कर वृद्धि का विरोध नहीं किया और अधिक बढी हुई दर पर भी बिना किसी विरोध के लगान देते रहे। 1859 के रेंट अधिनियम ने किसान असन्तोष को बढ़ाया। दूसरे,जमींदार कृषकों से उनकी जमीन पर से उनका अधिकार छीन लेना चाहते थे। भूमि के मालिक को किसानों से जबरन हस्ताक्षर करवाकर पट्टेदार बना दिया गया। किन्तु उन्हें नए कानूनों की जानकारी शिक्षित लोगों से होती रहती थी जिससे उन पर हो रहे अत्याचारों का ज्ञान हुआ। त्रिपुरा में अनुचित बेगार भी ली जाती थी जिससे वे अत्यधिक त्रस्त थे, अत: किसानों ने अपने को संगठित करना शुरू किया। 1873 में 'एगररियन लीग' का गठन किया गया. पूरे जिले के किसान इसके सदस्य बन गए । यह आश्चर्यजनक घटना थी कि कृषकों ने ब्रिटिश शासन का विरोध नहीं किया प्रत्युत वे "इंग्लैंड की रानी'' का किसान बने रहना चाहते थे, किन्तु उनके विरुद्ध हो रहे अन्याय एवं अत्याचार का उन्होंने विरोध किया। लीग ने जमींदारों की लगान वृद्धि के विरुद्ध मुकदमे भी शुरू किये और लगान देना बंद कर दिया। किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर चलाये गये आन्दोलन के बावजूद हिंसक वारदात नाममात्र को ही हुई और कृषक मुख्यतः: जमींदारों से अपनी सम्पत्ति बचाने का ही प्रयास कर रहे थे। जैसे-जैसे विद्रोह बढा जमींदारों ने किसानों से बदला लेने के उपाय किये। यह विद्रोह ढाका, राजशाही, त्रिपुरा, जैदपुर, बाकरगंज और बोगरा में फैल गया।
4.29. मुण्डा विद्रोह के कारण, विशेषताओं एवं महत्व का उल्लेख करो।
उत्तर : मुण्डा विद्रोह एक जनजाति या आदिवासी जाति द्वारा किया गया विद्रोह था। ऐसा भी माना जाता है कि मुण्डा विद्रोह जनजाति या आदिवासी विद्रोह न होकर एक प्रकार से किसान विद्रोह (Peasant Revolt) था जिसमें न केवल मुण्डा जाति ने बल्कि अन्य किसानों ने भी भाग लिया था। भारतीय इतिहास में आदिवासी विद्रोहों में इस विद्रोह की महत्ता अनमोल मानी जाती है। यह विद्रोह एक प्रकार से भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का प्रतीक भी माना जाता था।
कारण : ब्रिटिश सरकार द्वारा भूमि राजस्व का अनुपात बहुत अधिक बढ़ा दिया गया था राजस्व चुकाने के लिए मुंडा बिना मजदूरी के काम करने के लिए बाध्य हुए जिसे बेटबेगारी कहा जाता था धीरे धीरे इस जाति के लोग इस क्षेत्र को छोड़कर चले जाने के लिए बाध्य हो जाए। इस क्रम में इस जाति के बहुत से लोग दलालों के चंगुल में फँस गए। दलालों ने इन्हें कुली या बंधुआ मजदूर के रूप में चाय के बागानों में कार्य करने के लिए भेज दिया। ब्रिटिश सरकार की भूराजस्व की नीति के खिलाफ मुण्डा विद्रोह आरम्भ हुआ।
विशेषताएँ :
(i) सरकार ने मुण्डा लोगों की मांग पर पुनः विचार शुरू किया। सन् 1903 में छोटानागपुर टिनेन्सी ऐक्ट (Chhotanagpur Tenancy Act) पास किया गया और मुण्डाओं की खुतकथी परम्परा को मान्यता दी गई।
(ii) इस आन्दोलन का प्रमुख उद्देश्य मुण्डा राज्य की स्थापना करना था।
(ii) विद्रोह समाप्ति के बाद भी भारत में मुण्डा जाति के विद्रोह के प्रतीक भी बनाया गया है, जो उनका वर्चस्व कायम रखता है।
(iv) आन्दोलन की असफलता के बाद भी वीरसा मुण्डा अपने समर्थकों का एकमात्र नेता मान लिये गये। लोग वीरसा मुण्डा की पूजा देवता की तरह करने लगे।
महत्व : यद्यपि मुण्डा विद्रोह तो असफल हो गया परन्तु अपनी स्वतंत्रता के लिए इनका संगठित प्रयास इतिहास के पन्नों में अमर हो गया था न केवल यह विद्रोह भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण माना गया बल्कि विश्व के इतिहास में भी इस जाति को स्थान दिया, जो अपने आप में गर्व की बात है ।
(Class 10 History Chapter 3 West Bengal Board)
Sir chapter 4 plzz
जवाब देंहटाएंClass 10 HISTORY Chapter 4 and 5 notes will be available till this week.
हटाएंपाठ 4
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