Class 10 Geography CHAPTER 4 अपशिष्ट प्रबंधन Madhyamik WBBSE


4. अपशिष्ट प्रबंधन


ATR Institute
West Bengal Board of Secondary Education (WBBSE)

Notes for:-

CLASS 10 (MADHYAMIK)

GEOGRAPHYCHAPTER-4


विभाग-ख


2.3.63. CNG का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर: Compressed Natural Gas.

2.3.64. फ्लाई ऐश से किस इमारती वस्तु का निर्माण किया जा सकता है?
उत्तर: फ्लाई ऐश ईंट।

2.3.65. D.D.T. का पूरा नाम क्या है?
उत्तर:D.D.T.का पूरा नाम Dichloro diphenyl Trichloroethane है।संयुक्त राज्य अमेरिका में यह सन् 1972 से ही प्रतिबंधित है। मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों को समाप्त करने में इसका उपयोग होता है।

  2.3.66. एक जैवरूप से विघटित होने वाले अपशिष्ट का नाम लिखिए।
उत्तर: फलों एवं सब्जियों के छिलके। 

2.3.67. W.H.O का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर: विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation).

 2.3.68. D.D.T किस प्रकार का उर्वरक है? 
उत्तर: D. D. T . एक रासायनिक उर्वरक है।

2.3.69. उस यन्त्र का क्या नाम है जो स्वचालित वाहनों से निकलने वाले धुएँ से विषैले पदार्थों को अलग करता है?
उत्तर:सीनसिनेटर। 

2.3.70. हानिकारक अपशिष्टों के जमाव का विशिष्ट नाम क्या है ? 
उत्तर: आपदा अपशिष्ट (Hazard waste) या विषैला अपशिष्ट (Toxic waste)

2.3.71,विषैले अपशिष्टों के कुछ उदाहरण दीजिए। 
उत्तर: जली बैटरियाँ, कीटनाशक, कल कारखानों से निकलने वाले हानिकारक खाद्य आदि।

2.3.72. एक ठोस वर्ज्य पदार्थ का नाम लिखे ।
उतर: कागज तथा प्लास्टिक।

2.3.73. तरल वर्ज्य  पदार्थ के नाम बताए । 
उत्तर:मल-मूत्र ।

2.3.74.गैसीय द्रव्य-पदार्थ के नाम लिखे।
उत्तर: कार्बन डाई आक्साइड।

2.3.75. हरित ग्रह प्रभाव गैस का नाम बताएँ ।
उत्तर:CO2

2.3.76. किसके कारण मिट्टी में अम्लीय बढ़ जाता है ।
उत्तर: वर्ज्य पदार्थों से।

2.3.77. फेफड़ों का कैंसर किस प्रदूषण के कारण होता है ?
उत्तर: हाइड्रोकार्बन के कारण।

2.3.78. विषैले वर्ज्य पदार्थ का नाम लिखे।
उत्तर: कीटनाशक दवाइयां ।

2.3.79. किस क्षरण के कारण ठोस वर्ज्य पदार्थ मिट्टी में नीचे दब जाता है ।
उत्तर:  भूक्षरण ।

2.3.80. कीटनाशक रसायन से होने एक रोग का नाम लिखें। 
उत्तर : कैंसर ।

विभाग-ख

 3.82. तरल वर्ज्य पदार्थ से तुम क्या समझते हो ? 
Ans. तरल रूप में पाये जाने वाले अपशिष्ट पदार्थों, जैसे घरेलू कूड़ा-कर्कट, वाहित मल, औद्योगिक बहिःस्राव एवं कृषि बहिःस्राव आदि को तरल वर्ज्य पदार्थ कहा जाता है। जैसे- विभिन्न प्रकार के रंग, तेल, घी, दवाइयाँ आदि। 

|3.82, वर्ज्य पदार्थ प्रबंधन क्या है?
Ans. वर्ज्य पदार्थ प्रबंधन : वर्तमान समय में अनियंत्रित उत्पादन तथा उपभोग के द्वारा अप्रत्याशित गति से वर्ज्य पदार्थों का उत्सर्जन हो रहा है, अतः उसे रोकने के लिए प्रभावी वर्ज्य पदार्थ प्रबंधन की अत्यन्त आवश्यकता है वर्ज्य पदार्थ के प्रभावी व्यवस्थापन में समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों, पौर प्रतिष्ठान एवं सम्बन्धित सरकारी विभागों में आपसी समन्वय की अत्यन्त आवश्यकता है

1 3.83. इलेक्ट्रॉनिक (विद्युत) वर्ज्य पदार्थ से तुम क्या समझते हो ?
उत्तर : इलेक्ट्रॉनिक धातुएँ जैसे फ्रिज, टेलीविजन, वाशिंग मशीन, कम्प्यूटर आदि जब उपयोग योग्य नहीं रह जाते हैं तो ये कचरा हो जाते हैं। अत: उन्हें पुनर्चक्रण की कोई विधि नहीं होने के कारण ये स्क्रैप के रूप में बेच दिये जाते है।

3.84. Scruber क्या हैं ?
 उत्तर : घर में जिस वस्तु का प्रयोग कर वज्य पदार्थ को नष्ट किया जाता है उसे Scruber कहा जाता है।

3.85. कृषि वर्ज्य पदार्थ क्या है ? 
उत्तर : जो वर्ज्य पदार्थ गहन कृषि एवं बड़े पैमाने पर फसलों के उत्पादन के बाद प्राप्त होते हैं तो उसे कृषि वर्ज्य पदार्थ कहा जाता है । इसके अन्तर्गत लकड़ी के कचरे, फसलों के डंठल, मवेशियों द्वारा उत्पन्न कचरा एवं मवेशियों के शव आदि वर्ज्य पदार्थ है।

3.86. गंगा कार्य योजना क्या है ?
उत्तर : गंगा कार्य योजना :- गंगा नदी के प्रवाह मार्ग में अनेक कचड़ों का ढेर बढ़ते जा रहा है, उस योजना के अन्तर्गत 1985 ई० से गंगा नदी में प्रदूषण को रोक-थाम के लिए जिस योजना का प्रयोग किया गया है, उसे ही गंगा कार्य योजना कहा जा सकता है।

3.87. 3r क्या है ?
उत्तर : 3r का अर्थ Reduce (परिणाम घटाना), Reuse (पुनः प्रयोग) और Recycle (पुनः चक्रीय) है। 

3.88. गैसीय वर्ज्य पदार्थ कौन-कौन हैं ?
उत्तर : (i) विषैले वर्ज्य पदार्थ (ii) विषरहित वर्ज्य पदार्थ ।

3.89. तैरती राख क्या है? 
उत्तर : कल-कारखानों की चिमनी से निकलने वाले कणों को तैरती राख कहा जाता है।

3.90. जैव मेडिकल वर्ज्य पदार्थ अथवा जैव उपचार कचरा क्या है ?
उत्तर: (I) पैथोलाजिकल (i) रेडियोधर्मी पदार्थ (i) खराब औषधियाँ 

3.31. दो वर्ज्य पदार्थ के दुष्परिणाम लिखिए।
उत्तर : (i) वर्ज्य पदार्थों को गंदगी के क्रमशः रिसाव से भूतल पर जल प्रदूषण होता है
(ii)वर्ज्य पदार्थों की ढेर से मिट्टी में अम्लीय क्षमता बढ़ जाती है। 

3.92. अन्तिम शोधन से आप क्या समझते हो?
उत्तर : माध्यमिक स्तर पर शोधित जल को एक विशाल खुले जल भण्डार में लाया जाता है । आवश्यकतानुसार वायु संचालन की भी व्यवस्था रहती है । यहाँ जल धारण की संचय सीमा अधिक होती है, उस शोधन में कुछ नाइट्रोजन एवं फास्फोरस जनित यौगिकों को दूर कर लिया जाता है।

3.93.वर्ज्य पदार्थ के प्रमुख स्रोत क्या हैं?
उत्तर: वर्ज्य पदार्थ के प्रमुख स्रोत - कचरा या वज्जि की उत्पत्ति धरों, कारखानों, कृषि क्षेत्र, अस्पताल, आणविक संयंत्र तथा नगरपालिका द्वारा होती है।

3.94. अम्ल वर्षा से तुम क्या समझते हो ?
उत्तर : अम्ल वर्षा (Acid Rainfall) : अम्ल वर्षा का मुख्य कारण सल्फर-डाई-अक्साइड, नाइट्रिक ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड आदि है, इन गैसों का मुख्य स्रोत जीवाश्म ईंधन का मनमाने ढंग से जलाया जाना और औद्योगिक प्रक्रियाएँ हैं। 
CO2 के बाद सल्फर डाइऑक्साइड वायु को प्रदूषित करने वाला दूसरा महत्वपूर्ण गैस है ।NO2, SO2, CH4, जैसे  गैसें जब वर्षा जल में घुलकर पृथ्वी पर गिरने लगता है तो अम्ल वर्षा कहलाती है | 

3.95. कम्पोस्टिंग या जैविक खाद (Composting) क्या है?
उत्तर : जैविक खाद निर्माण : प्राकृतिक रूप से विघटित होने वाले अपशिष्ट पदार्थ, फलों एवं सब्जियों के छिलके एवं पत्तियाँ, बचा हुआ भोजन, कागज आदि का उपयोग जैविक खाद निर्माण में किया जा सकता है। इन सभी को एक गड्ढे में डालकर ढक दिया जाता है तथा कुछ महीनों तक छोड़ दिया जाता है। बैक्टीरिया इन पदार्थों को विघटित करके खाद में परिवर्तित कर देते हैं।

3.96.] विनाशक अपशिष्ट के पुनर्चक्रण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर : हानिकारक अपशिष्टों का मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को हानि बिना पुन: उपयोग में लाए जाने योग्य बनाना ही इनका पुनर्चक्रण है। जैसे ज्वलनशील हानिकारक अपशिष्टों को जलाकर ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। या इनका उपयोग कच्चे माल के रूप में करके नवीन वस्तुओं का उत्पादन किया जा सकता है।

विभाग-घ

|4.33. गैसीय अपशिष्टों के नियंत्रण के लिए प्रभावकारी उपाय क्या अपनाये गये हैं ?
उत्तर : गैसीय अपशिष्टों का उपचार (Treatment of Gaseous Waste) : विभिन्न उद्योगों से निकलने वाली गैसों के बहिःस्राव से वायु प्रदूषित होती है। वायु को इन हानिकारक अपशिष्टों से मुक्त करने के लिए औद्योगिक क्षेत्रों में निम्नलिखित दो उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। 
(1) इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिपिटेटर (Electrostatic Precipitator) : उद्योगों के चिमनियों से निकलने वाले धुएँ में मिश्रित धूलकण या अन्य ठोस कणों को निकालने का यह सर्वोत्तम यन्त्र है। इसमें ऋणात्मक चार्ज इलेक्ट्रोड होते हैं।
धनात्मक चार्ज धूल कण जो चिमनी से निष्कासित होने वाले धुओं के साथ मिश्रित होकर निकलते हैं तो ऋणात्मक इलेक्ट्रोड उन्हें अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं जिससे ये नीचे बैठ जाते हैं। इस प्रकार चिमनी से हानिकारक धूल कणों से मुक्त गैस बाहर निकलती है। 
(ii) गीले ब्रश (Wet Scrubbers): गीले ब्रश या वेट स्क्रबर वायू को जल से गीला करके स्वच्छ करते हैं। उद्योगों से निष्कासित होने वाली गैसें एक बड़े चैम्बर से होकर गुजरती हैं जिसमें जल का छिड़काव होता रहता है। गैसों से मिश्रित ठोस कण गीले होकर भारी हो जाते हैं तथा नीचे बैठने लगते है तथा इनसे मुक्त स्वच्छ वायु बाहर निकल जाती हैं। इसके अतिरिक्त जल में  घुलनशील हानिकारक गैसे जैसे- सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाईऑक्साइड, हाड्रोजन सल्फाइड, अमोनिया आदि वायु प्रदूषक गैसें भी इस प्रक्रिया द्वारा वायु से मुक्त हो जाती है।

4.34. अपशिष्ट प्रबंधन में छात्रों की भूमिका का वर्णन करो।
 उत्तर : अपशिष्ट प्रबंधन में छात्रों की भूमिका (Role of students in waste Management): छात्र भविष्य के होने वाले सजक नागरिक होंगे। अत: यदि शुरू से ही शिक्षा और व्यवहार द्वारा छात्रों को अपशिष्ट प्रबंधन के बारे में सचेत किया जाय तो निश्चित रूप से छात्र इसमें सहायक हो सकते हैं। यदि छात्र अपशिष्ट पदार्थ क्या है जान जाय तो अपशिष्ट निर्माण की प्रक्रिया को ही रोक सकते है। उदाहरणस्वरूप यदि छात्रों को शिक्षा द्वारा समझा दिया जाय कि जिस प्लास्टिक के सामानों का उपयोग वे करते हैं उसको सड़कर समाप्त होने में दस लाख वर्ष लगते हैं या उसको जलाने से जहरीली गैस निकलती हैं या खुले स्थानों पर फेंक देने पर जल जमाव होता है या पशु उसको खा लेते हैं तो कुछ दिनों बाद पशु मर भी जाते हैं तो छात्र प्लास्टिक के थैलों का उपयोग न करने का निश्चित कर सकते हैं। समाज का सबसे बड़ा वर्ग विद्यार्थी वर्ग है। अत: किसी चीज के प्रचार प्रसार में विद्यार्थी वर्ग की भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण हो सकती है। यदि विद्यार्थी जान जाये कि प्लास्टिक देश और विश्व की सबसे बड़ी समस्या है तो इससे निपटने में विद्यार्थी वर्ग सबसे बडी सहायता कर सकते हैं।

14.35. औद्योगिक अपशिष्ट अधिक हानिकारक होते हैं क्यों? 
उत्तर : उद्योगों से उत्सर्जी पदार्थ पानी के साथ घुलकर रासायनिक क्रिया करता है और पानी को अशुद्ध तथा प्रदूषित कर देता है। सूती मिलों, चीनी मिलों और अन्य उद्योगों कचरे नदियों में गिराये जाते हैं। रासायनिक कारखानों में उत्सर्जि कचरे नदियों और तालाबों के पानी में विभिन्न प्रकार के नुकसानदेह उत्पाद घोल देते हैं जो पौधों और पशुओं के लिये खतरनाक बन जाता है। ये जल प्रदूषण के प्रमुख स्रोत के रूप में हैं।

 4.36. भागीरथी-हुगली नदी के जल को प्रदूषण रोकने के लिए हम क्या कर सकते हैं?
 उत्तर : बोर्ड को जल प्रदूषित करने वाले व्यक्ति के बारे में सूचना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारों को दें और यह सुनिश्चित करे कि उचित कार्रवाई हो। आप प्रेस में भी इस बारे में लिख सकते हैं।
1. बोर्ड को जल प्रदूषित करने वाले व्यक्ति के बारे में सूचना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी को दें और यह सुनिश्चित करें कि उचित कार्रवाई हो। आप प्रेस में भी इस बारे में लिख सकते है। 
2. घर की नाली या उद्योग की नाली में ऐसा कोई कचरा न डालें जो नदी-नाले, तालाब, झील या समुद्र जैसे किसी जलस्रोत में सीधे जा सकती हो।
3. बेकार की चीजें बनाने के लिए फ्लश का उपयोग न करें। घर से चली पर किसी और स्थान पर समाने आएगी और जल को प्रदूषित करेगी। 
4.बागों में रासायनिक खादों के स्थान पर कंपोस्ट का इस्तेमाल करें।

4.37. जहरीले अपशिष्ट (Toxic waste) या विनाशक अपशिष्ट (Hazardous Waste) से क्या समझते हैं?
उत्तर : विभिन्न प्रकार के औद्योगिक कारखानों और वाहनों से उत्सर्जित जहरीले गैस वातावरण के लिये भयावह खतरे के रूप में उपलब्ध हैं। यह असामयिक मृत्यु और जन्म से अपंगता के भी कारक हैं। इनको विनाशक अपशिष्ट भी कहते हैं। ये विषैले होते हैं। ये निर्माण, कृषि, संरचना, आटोमोबाइल-गैरेज, लैबोरेटरी, हास्पीटल और अन्य उद्योगों के उप उत्पाद हैं।

4.38. जल प्रदूषण में अपशिष्टों की भूमिका का वर्णन क्या है?
 उत्तर : जल में घरेलू अपशिष्टों, औद्योगिक बहिःस्राव के रसायन, रेडियोधर्मी पदार्थो तथा तेल के रिसाव आदि के मिश्रण से जलीय जीवों को हानि पहुँचती है तथा उनका विनाश होता है। अनेक पशुओं, पक्षियों एवं कीटों की मौत का कारण विषाक्त अपशिष्ट हैं।
4.39. गैसीय अपशिष्ट में मनुष्य की क्या भूमिका है?
उत्तर : (i) बड़ी मात्रा में जैव ईंधन जैसे- कोयला, पेट्रोल डीजल के दहन से CO2, कार्बन मोनोआक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर-डाइऑक्साइड की मात्रा लगातार वायुमण्डल में बढ़ रही है। 
(ii) मोटर-गाड़ी से गैसीय अपशिष्ट का 60% भाग वायुमण्डल में जहरीले गैस के रूप में इकट्ठा हो रहा है।
(iii) औद्योगिक प्रतिष्ठानों में कोयले का दहन बड़ी मात्रा में धुंआ एवं धूलकण वायु में एकत्रित कर रहा है।
(iv) एटामिक पावर प्लाण्ट से यूरेनियम के उपयोग से वायुमंडल में गैस का उत्सजन एवं उष्मा की वृद्धि हो रही है।

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